मराठा रिजर्वेशन क्यूरेटिव पिटीशन पर SC में सुनवाई आज:मनोज जरांगे की पदयात्रा मुंबई की ओर बढ़ी

Updated on 24-01-2024 12:21 PM

मराठा आरक्षण से जुड़ी क्यूरेटिव पिटीशन पर आज (24 जनवरी) की दोपहर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। इसके पहले चार जजों की बेंच को 6 दिसंबर 2023 को क्यूरेटिव पिटीशन पर चेंबर में विचार करना था। याचिका की कॉपी भी सर्कुलेट कर दी गई थी।

इसके बाद 23 दिसंबर 2023 को CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने इस मामले में 24 जनवरी को विचार करने का फैसला किया था।

जस्टिस संजय किशन कौल 25 दिसंबर को रिटायर हो चुके हैं। ऐसे में मुमकिन है कि CJI उनकी जगह किसी अन्य जज को पीठ में शामिल करें। 23 जून 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण मामले की समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने क्यूरेटिव पिटीशन दायर की थी।

महाराष्ट्र में मराठा कम्युनिटी का सर्वे शुरू इधर, 23 जनवरी से महाराष्ट्र में मराठा कम्युनिटी का सर्वे ठाणे से शुरू हो गया है। राज्य के करीब 4250 कर्मचारियों को सर्वे का काम सौंपा गया है। राज्य पिछड़ा आयोग 23 से 31 जनवरी तक सर्वे का काम पूरा करेगी। CM शिंदे ने 20 जनवरी को कहा था सर्वे से पता चलेगा कि मराठा कम्युनिटी के लोग सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से कितने पिछड़े हैं।

इधर, मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल की पदयात्रा आज पुणे के रंजनगांव से मुंबई की ओर बढ़ गई है। आज पदयात्रा का चौथा दिन है। जरांगे ने कहा कि हम अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। जरांगे राज्य के मराठाओं को कुनबी समाज में तत्काल शामिल कराने मांग कर रहे है। इससे पूरी कम्युनिटी OBC (अन्य पिछड़ा वर्ग) की श्रेणी में आ जाएगी और आरक्षण का लाभ ले सकेगी।

उन्होंने 20 जनवरी को जालना से मुंबई तक के लिए पदयात्रा शुरू की थी। यह पदयात्रा गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) के दिन मुंबई पहुंचेगी। मुंबई के आजाद मैदान या शिवाजी पार्क में प्रदर्शन की तैयारी है। जरांगे ने कहा था कि अगर महाराष्ट्र सरकार आंदोलन को नजरअंदाज करेगी तो वे मुंबई में भूख हड़ताल करेंगे।

​​​​​मंत्रियों ने आरक्षण देने का वादा किया था
कृषि मंत्री धनंजय मुंडे ने 2 नवंबर 2023 को कहा था कि विधानमंडल सत्र 7 दिसंबर से शुरू होगा। इस सत्र में 8 दिसंबर को मराठा आरक्षण पर चर्चा की जाएगी। जरांगे ने कहा था कि महाराष्ट्र सरकार ने मराठा समुदाय को स्थायी आरक्षण देने का वादा किया है। उन्होंने इसके लिए कुछ समय मांगा है। हम सबकी दिवाली मीठी बनाने के लिए सरकार को समय देंगे। अगर सरकार तय समय में आरक्षण नहीं देगी तो 2024 में हम फिर मुंबई में आंदोलन करेंगे।

सर्वदलीय बैठक में फैसला- मराठा आरक्षण मिलना चाहिए
महाराष्ट्र में CM एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में 1 नवंबर 2023 को सर्वदलीय बैठक में सभी दलों ने सहमति जताई कि मराठा समुदाय को आरक्षण मिलना ही चाहिए। इस बैठक में शरद पवार समेत 32 पार्टियों के नेता शामिल हुए थे।

बैठक के बाद CM शिंदे ने कहा था- यह निर्णय लिया गया है कि आरक्षण कानून के दायरे में और अन्य समुदाय के साथ अन्याय किए बिना होना चाहिए। आरक्षण के लिए अनशन पर बैठे मनोज जरांगे से अपील है कि वो अनशन खत्म करें। हिंसा ठीक नहीं है।

पिछले आंदोलन में 29 लोगों ने सुसाइड किया था
इससे पहले 25 अक्टूबर 2023 को मनोज जरांगे ने जालना जिले के अंतरवाली सराटी गांव में भूख हड़ताल शुरू की थी। मांग वही, मराठा समुदाय को OBC का दर्जा देकर आरक्षण दिया जाए। 9 दिनों में आंदोलन से जुड़े 29 लोगों ने सुसाइड कर लिया।

इसके बाद राज्य सरकार के 4 मंत्रियों धनंजय मुंडे, संदीपान भुमरे, अतुल सावे, उदय सामंत ने जरांगे से मुलाकात कर भूख हड़ताल खत्म करने की अपील की। उन्होंने स्थायी मराठा आरक्षण देने का वादा किया। इसके बाद 2 नवंबर 2023 को मनोज जरांगे ने अनशन खत्म कर दिया। साथ ही सरकार को 2 जनवरी 2024 तक का समय दिया।

महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का मसला क्या है?

  • महाराष्ट्र में एक दशक से मांग हो रही है कि मराठाओं को आरक्षण मिले। 2018 में इसके लिए राज्य सरकार ने कानून बनाया और मराठा समाज को नौकरियों और शिक्षा में 16% आरक्षण दे दिया।
  • जून 2019 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने इसे कम करते हुए शिक्षा में 12% और नौकरियों में 13% आरक्षण फिक्स किया। हाईकोर्ट ने कहा कि अपवाद के तौर पर राज्य में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित 50% आरक्षण की सीमा पार की जा सकती है।
  • जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में गया तो इंदिरा साहनी केस या मंडल कमीशन केस का हवाला देते हुए तीन जजों की बेंच ने इस पर रोक लगा दी। साथ ही कहा कि इस मामले में बड़ी बेंच बनाए जाने की जरूरत है।

क्या है इंदिरा साहनी केस, जिससे तय होता है कोटा?

  • 1991 में पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने आर्थिक आधार पर सामान्य श्रेणी के लिए 10% आरक्षण देने का आदेश जारी किया था। इस पर इंदिरा साहनी ने उसे चुनौती दी थी।
  • इस केस में नौ जजों की बेंच ने कहा था कि आरक्षित सीटों, स्थानों की संख्या कुल उपलब्ध स्थानों के 50% से अधिक नहीं होना चाहिए। संविधान में आर्थिक आधार पर आरक्षण नहीं दिया गया है।
  • तब से ही यह कानून बन गया। राजस्थान में गुर्जर, हरियाणा में जाट, महाराष्ट्र में मराठा, गुजरात में पटेल जब भी आरक्षण मांगते तो सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आड़े आ जाता है।


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