भोपाल का कोहेफिजा इलाका। यहां हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी भी है। इसमें कई चौराहे-गलियां हैं, जहां दर्जनों आवारा कुत्ते घूमते मिल जाते हैं। दो दिन पहले इस क्षेत्र से निकल रहे एक बच्चे को कुत्तों ने घेर लिया। उसने दौड़कर अपनी जान बचाई। प्राइवेट स्कूल की प्रिंसिपल भी बाल-बाल बच गईं। ये महज एक रिहायशी इलाके के दो मामले हैं, लेकिन ऐसी तस्वीरें पूरे शहर में नजर आ सकती है। सरकारी अस्पतालों में भी डॉग बाइट के केस बढ़ गए हैं।
मार्च में आवारा कुत्तों के खूंखार होने और लोगों को काटने के बावजूद न तो प्रशासन और न ही जिम्मेदार निगम के अधिकारी इस पर ध्यान दे रहे हैं। जनप्रतिनिधि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने का हवाला देकर पल्ला झाड़ रहे हैं, जबकि अफसर नसबंदी किए जाने का रटारटाया जवाब दे रहे हैं, जबकि 9 दिन पहले 19 मार्च को एक 6 साल के बच्चे का जबड़ा भी कुत्ते नोंच चुके हैं।