नई दिल्ली: भारत में सत्ता किसी के हाथ रही हो, लेकिन चाणक्य तो सिर्फ एक ही इंसान को कहा जाता है। जी हां, बिल्कुल सही समझा आपने। वह हैं शरद पवार। शरद पवार के बारे में कहा जाता है कि चित भी उनकी होती है और पट भी उनकी होती है। उनकी चाल हमेशा सटीक बैठती है। राजनीति के अखाड़े के इस सूरमा को कभी कोई हरा नहीं पाया। लेकिन क्या आप जानते हैं इस चाणक्य को भी धोबी पछाड़ मिली थी और क्रिकेट राजनीति के किंग से पवार को एक वोट से हार मिली थी।
शरद पवार को हराने के लिए जगमोहन डालमिया ने संभाला था मोर्चा
यह शत प्रतिशत सही है। यह हार भी उन्हें तब मिली थी जब वह यूनियन फूड मिनिस्टर थे। दरअसल, दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड का 2004 में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव था। शरद पवार और रणबीर सिंह महेंद्र आमने-सामने थे। हालांकि, रणबीर सिंह को जगमोहन डालमिया का सपोर्ट था और वह परदे के पीछे से मोर्चा संभाले हुए थे। इलेक्शन का रिजल्ट आया तो हर कोई हैरान था। पॉलिटिक्स के पावर हाउस माने जाने वाले पवार एक वोट से पीछे रह गए थे। यही नहीं, उनके अलावा उनके सभी सपोर्टर भी हार गए थे।
बराबरी के मुकाबले में खेल कर गए थे जगमोहन डालमिया
देखा जाए तो उसके बाद से यह पहला मौका है, जब राजनीति में वह बैकफुट पर नजर आ रहे हैं। दूसरी ओर, भतीजे अजित पवार महाराष्ट्र की राजनीति में लीड करते नजर आ रहे हैं। 2004 BCCI चुनाव में पवार और रणबीर 15-15 वोट से बराबरी पर थे। उस वक्त अध्यक्ष के रूप में दो-कार्यकाल पूरा कर चुके डालमिया ने अपने निर्णायक मत का उपयोग महेंद्र के पक्ष में किया। इससे मुंबई क्रिकेट असोसिएशन के प्रमुख पवार की हार पक्की हो गई। इस पर उस समय निराश पवार ने तर्क दिया कि यदि महाराष्ट्र क्रिकेट असोसिएशन का प्रतिनिधित्व करने वाले उनके एक समर्थक को मतदान करने की अनुमति दी गई होती, तो वह चुनाव जीत जाते।
पवार ने कहा था- यह तो गेम प्लान था, गेंदबाज भी वहीं और अंपायर भी वही
पवार ने बाद में कहा था कि बीसीसीआई चुनाव में उनकी हार अनुचित तरीकों से सुनिश्चित की गई थी। हालांकि, इसके खिलाफ वह कोर्ट नहीं गए। राकांपा नेता ने कहा कि उनके वास्तविक वोटों में से एक को जानबूझकर नकार दिया गया। महाराष्ट्र के प्रतिनिधित्व पर जानबूझकर विवाद पैदा किया गया और 20 साल तक बोर्ड के सदस्य रहे डी अगाशे को वोट देने की अनुमति नहीं दी गई। अगर ऐसा नहीं होता तो जीत जाता। यह पूरा गेम प्लान था। यह एक क्रिकेट मैच था जिसमें गेंदबाज और अंपायर वही व्यक्ति थे।एक साल बाद ही शरद पवार बने BCCI अध्यक्षरोचक बात यह है कि उसके अगले ही साल 2005 में शरद पवार जीतकर बीसीसीआई प्रमुख बने और 2008 तक अपना कार्यकाल पूरा किया। इसके बाद वह 2010 से 2012 तक आईसीसी के अध्यक्ष भी रहे। वह आईसीसी प्रमुख बनने वाले जगमोहन डालमिया के बाद दूसरे भारतीय थे। बंगाल बोर्ड से आने वाले डालमिया 1997 से 2000 तक इस पद पर रहे।