इमरान की पार्टी का झंडा लगाने पर बेटे की हत्या:आरोपी पिता को यह नागवार गुजरा

Updated on 24-01-2024 12:34 PM

पाकिस्तान में सियासी टकराव की वजह से एक पिता ने अपने 31 साल के बेटे की गोली मारकर हत्या कर दी। बात सिर्फ इतनी सी थी कि बेटा अपने घर की छत पर इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) का झंडा लगाना चाहता था। उसके अब्बू को यह मंजूर नहीं था। ऐसा इसलिए क्योकिं वे अवामी नेशनल पार्टी (ANP)के समर्थक हैं। बता दें कि पाकिस्तान में 8 फरवरी को जनरल इलेक्शन हैं। इमरान खुद जेल में हैं लेकिन उनकी पार्टी PTI के उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। PTI का दावा भी मजबूत माना जा रहा है।

पहले बहस फिर हत्या

घटना रविवार की बताई जा रही है। पुलिस ने पिता और बेटे के नाम नहीं बताए, लेकिन घटना की पुष्टि की। पुलिस अफसर नासिर फरीद के मुताबिक- घटना में मारा गया बेटा कुछ दिन पहले ही कतर से लौटा था। वह वहां नौकरी करता था। वह इलेक्शन में इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ की कैम्पेनिंग में जुटा था।

उसने घर की छत पर PTI का झंडा लगाया तो पिता भड़क गए। दोनों में बहस हो गई। पिता ने पिस्तौल निकाल ली। बेटे को फिर समझाया, नहीं माना तो गोली मार दी। उसकी मौके पर ही मौत हो गई। पुलिस के मुताबिक- आरोपी अभी फरार है।

आरोपी दूसरे दल ANP का समर्थक है। यह पार्टी अफगानिस्तान की सीमा से लगने वाले इलाके में अच्छा होल्ड रखती है। 1986 में बनी इस पार्टी के प्रेसिडेंट असफंदयार वली खान हैं। आमतौर पर इस दल के समर्थक बॉर्डर एरिया में रहने वाले पश्तून या पठान हैं। इसके फाउंडर अब्दुल वली खान थे। इसका चुनाव चिह्न लालटेन है।

इलेक्शन टलने के कयास अब भी जारी

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने पिछले हफ्ते कहा था कि देश में 8 फरवरी को होने वाले इलेक्शन टलने का विरोध किया जाएगा। उन्होंने कहा- हमें मालूम है कि सीनेट के कुछ मेंबर्स इसकी मांग कर रहे हैं, लेकिन यह फैसला खतरनाक हो सकता है।

हालांकि, कुछ दिन पहले इलेक्शन कमीशन ने सुप्रीम कोर्ट बता चुका है कि वह चुनाव कराने के लिए पूरी तरह तैयार है और अब तक ऐसी कोई दिक्कत सामने नहीं आई है, जिसकी वजह से चुनाव टाले जाएं।

‘जियो न्यूज’ को दिए इंटरव्यू में शाहबाज शरीफ ने कहा- अगर अब जबकि इलेक्शन में चंद दिन ही बचे हैं, इसे टाला जाता है तो मुल्क के लिए बहुत मुश्किल और खतरनाक फैसला होगा। हम इसका सड़कों पर भी विरोध करेंगे।

16 महीने सरकार चला चुके शाहबाज ने कहा- मैं नहीं जानता कि सीनेट के कुछ मेंबर्स इलेक्शन क्यों नहीं चाहते। मैं सिर्फ इतना जानता हूं कि अगर इलेक्शन हुए तो पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (PML-N) फुल मेजॉरिटी हासिल करेगी और सरकार बनाएगी। नवाज शरीफ फिर प्रधानमंत्री बनेंगे। हम चाहते हैं कि पाकिस्तान में सियासी स्थिरता आए और मुल्क दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चले।

एक सवाल के जवाब में पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा- कुछ लोग कह रहे हैं कि ईरान और पाकिस्तान के बीच बड़ी जंग छिड़ सकती है और मुल्क की इकोनॉमी भी अच्छी नहीं है। मेरा उनसे सवाल है कि क्या ये हालात हमारे तीन बॉर्डर्स पर आज पैदा हुए हैं? ये लंबे वक्त से हैं और चुनाव टालने के लिए ये बहाना दुनिया में हमारी पोजिशन खराब ही करेगा।

इमरान से हाथ मिला सकते हैं जरदारी

कुछ दिन पहले आसिफ अली जरदारी की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) का अहम बयान सामने आया था। PPP ने कहा कि वो इलेक्शन के मद्देनजर दूसरी पार्टियों से गठबंधन कर सकती है। इसमें पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) भी शामिल है। इमरान अगस्त से जेल में हैं। उन्हें करप्शन केस में सजा सुनाई गई है।

इस बार दो महिलाएं भी चुनाव मैदान में

पाकिस्तान में 8 फरवरी को आम चुनाव होने हैं। इस बार चुनाव में यहां की 2 हिंदू महिलाएं भी मैदान में हैं। नाम है सविरा प्रकाश और राधा भील... प्रकाश पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रही है। वहीं, राधा राधा भील निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में हैं। राधा हिंदू लड़कियों के जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ आवाज उठाती रही हैं।

भारतीय सीमा से सटे थारपारकर इलाके की रहने वाली राधा भील अनुसूचित जाति समुदाय से हैं। इस क्षेत्र में पाकिस्तानी हिंदुओं की बड़ी आबादी रहती है। राधा कहती हैं, 'मैं गांव के एक साधारण परिवार से हूं।

लोगों की सेवा करने के साथ-साथ मैंने एक एनजीओ में भी काम किया है। परिवार में मेरा एक बेटा और एक बेटी है, बड़े बेटे का एक बेटा है और बेटी की 2 बेटियां हैं। इस तरह हमारा बड़ा परिवार है।'

दूसरी हिंदू उम्मीदवार सवीरा प्रकाश कहती हैं- हम 3 भाई-बहन हैं। मैं सबसे बड़ी हूं। छोटा भाई मुझसे 1 साल छोटा है और वह वकील है। तीसरा भाई मुझसे 10 साल छोटा है। वह 9वीं कक्षा में पढ़ता है। मैंने अपनी स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई पाकिस्तान में ही की।

मैंने 2022 में अपनी मेडिकल शिक्षा पूरी की और उसके बाद 1 साल के लिए डॉक्टर की ट्रेनिंग ली। डॉक्टर की नौकरी शुरू नहीं की और सीएसएस एकेडमी ज्वाइन कर ली। (सीएसएस का मतलब भारत की यूपीएससी की तरह पाकिस्तान की सिविल सेवा परीक्षा है) इन सबके साथ-साथ मुझे राजनीति में दिलचस्पी हो गई और अगस्त से मैंने राजनीति पर थोड़ा ध्यान देना शुरू कर दिया।'

सवीरा को अचानक राजनीति में दिलचस्पी क्यों हो गई? इसके जवाब में उन्होंने बताया- 'जब मैं 3 महीने की ट्रेनिंग के लिए सरकारी अस्पताल में थी तो वहां मैंने लोगों के बहुत सारे सवालों का सामना किया। वहां पर क्या चल रहा है? मरीजों और डॉक्टरों के लिए क्या मुश्किलें हैं? डॉक्टर बनने के पीछे मेरा मकसद यह था कि मैं लोगों की सेवा करना चाहती थी। इसीलिए मुझे लगा कि यदि बड़े पैमाने पर लोगों की सेवा करनी है तो मुझे शुरुआत भी ऊंचे स्तर से करनी होगी।



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