नई दिल्ली: गहनों में इस्तेमाल होने वाले सोने-चांदी के हुक, पिन, स्क्रू, क्लैंप जैसे फाइंडिंग्स आइटम्स पर इंपोर्ट ड्यूटी 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत कर दी गई है। फाइनैंस मिनिस्ट्री ने इसके साथ ही सोने-चांदी के सिक्कों पर इंपोर्ट ड्यूटी भी 10 से बढ़ाकर 15 प्रतिशत कर दी। यह बढ़ोतरी 22 जनवरी से लागू मानी जाएगी। इस कदम के चलते गोल्ड-सिल्वर बार और इन फाइंडिंग्स पर लगने वाली इंपोर्ट ड्यूटी में अंतर खत्म हो गया है। इससे फाइंडिंग्स और कॉइंस को कम ड्यूटी पर आयात करने के बाद उन्हें पिघलाकर सोने-चांदी के गहने बनाने के धंधे पर लगाम लगेगी।मिनिस्ट्री ने एक नोटिफिकेशन में बताया कि सोने-चांदी की फाइंडिंग्स और सिक्कों पर अब 15 प्रतिशत की इंपोर्ट ड्यूटी होगी। इसमें 10 पर्सेंट की बेसिक कस्टम्स ड्यूटी के साथ अब 5 प्रतिशत एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट सेस भी शामिल कर दिया गया है। मिनिस्ट्री ने कीमती धातुओं वाले इस्तेमाल हो चुके कैटालिस्ट्स पर इंपोर्ट ड्यूटी भी बढ़ाकर 14.35 प्रतिशत कर दी। इनसे भी कीमती धातुएं निकाली जाती रही हैं।
क्या गहनों की कीमतों पर होगा असर?
ऑल इंडिया जूलर्स एंड गोल्डस्मिथ फेडरेशन के महासचिव नितिन केडिया ने कहा, ‘जो लोग फाइंडिंग्स और गोल्ड-सिल्वर पर इंपोर्ट ड्यूटी में अंतर का बेजा फायदा उठा रहे थे, उन पर इस कदम से लगाम लगेगी। ओवरऑल इस फैसले से गहनों की कीमतों पर कोई असर नहीं पड़ने जा रहा।’
गोल्ड-सिल्वर पर ड्यूटी में अंतर होगा कम?
जेम्स एंड जूलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (GJEPC) के चेयरमैन विपुल शाह ने कहा, ‘फाइंडिंग्स और कॉइंस को लोग कम ड्यूटी पर इंपोर्ट करते थे। इनमें और गोल्ड-सिल्वर पर ड्यूटी में बड़ा अंतर था। सरकार ने अब यह अंतर खत्म कर दिया है। इससे कोई प्रॉब्लम नहीं है। यह इंडस्ट्री के लिए अच्छा कदम है।’
गोल्ड इंपोर्ट पर क्या है सरकार की रिपोर्ट?
कॉमर्स मिनिस्ट्री के मुताबिक, पिछले साल दिसंबर में भारत का गोल्ड इंपोर्ट सालभर पहले के मुकाबले 156 प्रतिशत बढ़कर 3 अरब डॉलर से अधिक का हो गया था। मौजूदा वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में गोल्ड इंपोर्ट सालभर पहले की इसी अवधि के मुकाबले 26.6 प्रतिशत ज्यादा रहा।