वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश किया। हाल में हुए आम चुनावों में बीजेपी अपने दम पर बहुमत हासिल करने में नाकाम रही और उसे सरकार बनाने के लिए सहयोगी दलों का समर्थन लेना पड़ा। इसलिए आज जब सीतारमण फाइनेंशियल ईयर 2024-25 का पूर्ण बजट पेश करने के लिए लोकसभा में खड़ी हुईं तो इसे लेकर उम्मीदों का ज्वार चरम पर था। लेकिन कई वर्गों को इसमें निराशा हाथ लगी।बेरोजगारी कम करने का प्लान नहीं
दुनिया में सबसे तेजी से आर्थिक विकास कर रहे भारत के लिए बेरोजगारी सबसे बड़ी चुनौती है। भारत उन देशों में शामिल हैं जहां बेरोजगारी की दर सबसे ज्यादा है। देश की इकॉनमी तो तेजी से बढ़ रही है लेकिन हम उसके मुताबिक नौकरियां पैदा करने में नाकाम रहे हैं। लेकिन आज पेश बजट में विकराल होती बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए कोई खास घोषणा नहीं की गई है। हालांकि रोजगार से जुड़े प्रोत्साहन के तहत तीन योजनाओं की घोषणा की गई है लेकिन बेरोजगारों की बढ़ती फौज के लिए यह नाकाफी है।
किसानों की इनकम बढ़ाने का उपाय नहीं
बजट में कृषि और उससे जुड़े सेक्टरों के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये की घोषणा हुई है। लेकिन किसानों की लगातार मांग के बाद भी मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP) को लेकर बजट में कोई घोषणा नहीं हुई है। साथ ही पीएम किसान यानी किसान सम्मान निधि की रकम भी नहीं बढ़ाई गई है। माना जा रहा था कि सरकार इस रकम को दोगुना कर सकती है। अभी इस योजना के तहत सालाना 6,000 रुपये मिलते हैं।
मिडिल क्लास को राहत नहीं
टैक्सपेयर्स को इस बजट से भारी उम्मीद थी। खासकर सबसे ज्यादा टैक्स देने वाले और खर्च करने वाले मिडिल क्लास को ज्यादा राहत नहीं दी गई है। न्यू टैक्स रिजीम में स्टैंडर्ड डिडक्शन को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये कर दिया गया है। साथ ही न्यू टैक्स रिजीम में टैक्स स्लैब में बदलाव किया गया है। वित्त मंत्री का दावा है कि इससे 10 लाख रुपये से ज्यादा वेतन पाने वालों को सालाना 17,500 रुपये तक की बचत होगी। लेकिन पुराने टैक्स रिजीम में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
रेल इन्फ्रा के लिए फ्यूचर विजन नहीं
पिछले दिनों रेलवे को कई बड़ी दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ा है। पिछले साल जून में ओडिशा में, पिछले महीने बंगाल और बिहार सीमा पर और हाल में उत्तर प्रदेश के गोंडा के पास रेल हादसे हुए। इसलिए माना जा रहा था कि बजट में रेलवे के इन्फ्रास्ट्रक्चर को सुधारने पर जोर दिया जाएगा। लेकिन बजट में इस तरह का कोई ऐलान नहीं किया गया। साथ ही वंदे भारत, अमृत भारत और बुलेट ट्रेन के बारे में भी कोई घोषणा नहीं हुई।
शेयर बाजार की भी उम्मीदें टूटीं
शेयर बाजार को इस बजट से खासी उम्मीदें थीं। निवेशक खासकर कैपिटल गेन टैक्स को व्यावहारिक बनाने की उम्मीद कर रहे थे। लेकिन बजट ने उन्हें जोर का झटका दे दिया। कैपिटल गेन टैक्स के तहत लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन को 2.5% बढ़ाकर 12% कर दिया गया है। इसी तरह कुछ चुनिंदा असेट्स पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स (STCG) बढ़ाकर 20% कर दिया गया है। इससे बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली।