नई दिल्ली: देश में आईफोन की मैन्यूफैक्चरिंग को बड़ा बूस्ट मिला है। कंप्टीशन कमीशन ऑफ इंडिया ने टाटा-विस्ट्रॉन की डील को हरी झंडी दे दी है। टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स ने ताइवान की कंपनी विस्ट्रॉन के भारत में ऑपरेशन को खरीदने के लिए पिछले साल अक्टूबर में एक डील की थी। विस्ट्रॉन का बेंगलुरु के करीब एक प्लांट है जिसमें आईफोन की एसेंबलिंग की जाती है। टाटा ग्रुप और विस्ट्रॉन के बीच इस डील के लिए करीब एक साल से बातचीत चल रही थी। विस्ट्रॉन का यह प्लांट आईफोन-14 मॉडल के प्रोडक्शन के लिए जाना जाता है। वर्तमान में इस प्लांट में 10,000 से ज्यादा वर्कर्स काम करते हैं। विस्ट्रॉन का भारतीय प्लांट अपनी 8 प्रोडक्शन लाइनों में आईफोन की मैन्युफैक्चरिंग कर रहा है।
ताइवान की कंपनी विस्ट्रॉन ठेके पर इलेक्ट्रॉनिक सामान बनाती है। विस्ट्रॉन भारत में आईफोन बिजनस से निकलना चाहती है और टाटा ने खरीदने में दिलचस्पी दिखाई थी। टाटा के अधिग्रहण के बाद विस्ट्रॉन पूरी तरह से भारतीय मार्केट से बाहर हो जाएगा, क्योंकि यह भारत में ऐपल प्रोडक्ट्स का प्रोडक्शन करने वाला कंपनी का एकमात्र प्लांट है। ताइवान की कंपनी विस्ट्रॉन ने 2008 में इंडियन मार्केट में एंट्री की थी, तब कंपनी कई डिवाइसेस के लिए रिपेयर फैसिलिटी प्रोवाइड कराती थी। 2017 में कंपनी ने अपने ऑपरेशंस को एक्सपेंड किया और ऐपल के लिए आईफोन का प्रॉडक्शन शुरू किया था।
चीन को लगेगी मिर्च
चीन और अमरीका के बीच विवाद के बीच ऐपल ने अपने ग्लोबल प्रॉडक्शन का लगभग 25% भारत में शिफ्ट करने के प्लान की घोषणा की थी। ऐपल के प्रॉडक्ट्स को असेंबल करने वाली तीन ताइवानी फर्मों में से सिर्फ विस्ट्रॉन भारत छोड़ रही है। फॉक्सकॉन और पेगाट्रॉन ने भारत में अपनी प्रोडक्शन लाइनें बढ़ा दी हैं। भारत सरकार कंपनियों को अपने उत्पादन और रोजगार बढ़ाने के लिए इन्सेंटिव दे रही है। इंटरनेशनल कंपनियां चीन पर अपनी निर्भरता कम कर रही हैं। ऐसी स्थिति में भारत निवेश के लिए पसंदीदा देश बनकर उभरा है। टाटा ग्रुप ने हाल में इलेक्ट्रॉनिक प्रॉडक्शन में एंट्री मारी है। तमिलनाडु में कंपनी की फैक्ट्री में आईफोन का चेसि यानी डेवाइस का मेटल बैकबोन बनाती है। साथ ही कंपनी ने चिप बनाने में भी दिलचस्पी दिखाई है।